अपने लेखन में निरन्तर प्रयोगधर्मी रहे मनोहर श्याम जोशी ने पुनर्रचना के रूप में एक नयी विधा का हिन्दी में सूत्रापात किया था। उस अर्थ में 'उत्तराधिकारिणी' का अपना खास महत्त्व है। जो बात इसमें विशेष रूप से ध्यान रखने वाली है वह यह है कि बावजूद इसके कि इसे पुनर्रचना कहा गया है यह पूर्ण रूप से मौलिक उपन्यास है। 'वाशिंगटन स्क्वायर' की पुनर्रचना कहकर जोशी जी ने 19वीं शताब्दी के महान लेखक हेनरी जेम्स के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित की है। जोशी जी का यह उपन्यास उनके समस्त लेखन में एक भिन्न स्थान रखता है। इसमें उनकी वह शैली नहीं है जिसकी वजह से उनको हिन्दी में उत्तर-आधुनिक उपन्यास के जनक के रूप में देखा गया-अनेकान्तता या किस्सों के भीतर से निकलते हुए किस्से, भाषा का जबरदस्त खेल। लेकिन एक बात है इस उपन्यास में रोचकता भरपूर है। भाषा का वह बाँकपन भी है जो बाद में उनकी सिग्नेचर शैली मानी गयी।
"synopsis" may belong to another edition of this title.
- PublisherVani Prakashan
- Publication date2015
- ISBN 10 9352290453
- ISBN 13 9789352290451
- BindingHardcover